Author Archives: majdoorsamachar
आईये अपने आप से कुछ बातें करें
अपने आप से बात करने के लिये समय चाहिये। और यहाँ मरने की फुर्सत नहीं है। पर बात इतनी ही नहीं लगती। वास्तव में खुद से बात करने में डर लगता है। स्वयं से बात करने से बचने के लिये … Continue reading
यह बातें भी पढिये
फरीदाबाद में मार्च 1982 में मजदूर समाचार का प्रकाशन आरम्भ होते ही धमकाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। उस समय महीने में एक हजार प्रतियाँ छपती थी। 1993 से मजदूर समाचार की हर महीने पाँच हजार प्रतियाँ छपने लगी। … Continue reading
शिशुओं की दुलत्तियाँ
● शिशु के सहज, स्वस्थ पालन-पोषण में साझेदारी वाले अलग-अलग आयु के पचास लोग आवश्यक हैं। अफ्रीका में प्रचलित एक कहावत अच्छे बचपन के लिये और अधिक लोगों के होने को जरूरी बताती है। प्रगति और विकास के संग शिशु … Continue reading
आप-हम क्या-क्या करते हैं … (14)
# अपने स्वयं की चर्चायें कम की जाती हैं। खुद की जो बात की जाती हैं वो भी अक्सर हाँकने-फाँकने वाली होती हैं, स्वयं को इक्कीस और अपने जैसों को उन्नीस दिखाने वाली होती हैं। या फिर, अपने बारे में … Continue reading
निर्भरता-आत्मनिर्भरता-परस्पर निर्भरता बनाम … बनाम क्या?
नये समाज के लिये नई भाषा भी आवश्यक लगती है। सामान्य तौर पर शासक समूह की, विद्यमान सत्ता की धारणायें-विचार-भाषा समाज में हावी होती हैं। ऊँच-नीच वाले सामाजिक गठनों में पीड़ित-शोषित समूहों का विरोध भी आमतौर पर सत्ता की धारणाओं-विचारों-भाषाओं … Continue reading
कुछ बातें गुड़गाँव से
2000 में एक नारीवादी युवती और एक युवा अन्तर्राष्ट्रीयतावादी मजदूर फरीदाबाद आये थे। जुलाई 2005 में होण्डा मानेसर फैक्ट्री मजदूरों और पुलिस की भिड़ंत अन्तर्राष्ट्रीय समाचार बनी थी। इस पृष्ठभूमि में अन्तर्राष्ट्रीयतावादी मजदूर मित्र 2007 में गुड़गाँव में एक कॉल … Continue reading
कुछ छोटी-छोटी बातें
कई तरह की पेट की बीमारियों, विभिन्न प्रकार के उदर रोगों की भरमार है। “पापी पेट” का जिक्र और बहुत कुछ को व्यक्त करने के लिये किया जाता है परन्तु यहाँ हम स्वयं को उदर रोगों तक ही सीमित रखेंगे। … Continue reading
पहचान और पहचान की जटिलतायें (2)
पहचान की राजनीति, Identity Politics विभाजित सामाजिक गठनों में अन्तर्निहित लगती है। सत्ता के लिये पहचान की राजनीति चीर-फाड़ का काम करती है। ऊँच-नीच जिस सामाजिक सम्बन्ध पर आधारित होती है वह सम्बन्ध जब नाकारा होने लगता है तब विद्यमान … Continue reading
डेल्फी पैकॉर्ड इलेक्ट्रिक सिस्टम
डेल्फी पैकॉर्ड इलेक्ट्रिक सिस्टम वरकर : “42 मील पत्थर दिल्ली-जयपुर रोड़, गुड़गाँव स्थित फैक्ट्री में कारों का बिजली का ताना-बाना तैयार किया जाता है जिसे यहाँ मारुति, होण्डा, जनरल मोटर फैक्ट्रियों को दिया जाता है तथा अमरीका स्थित निसान की … Continue reading
समझाना बनाम समुदाय-रूपी तालमेल (3)
■ हम मानवों ने विश्व-व्यापी जटिल ताने-बाने बुन लिये हैं। जाने-अनजाने में हमारे द्वारा निर्मित हावी ताने-बाने हम मानवों के ही नियन्त्रण से बाहर हो गये हैं। हावी ताने-बाने वर्तमान समाज व्यवस्था का गठन करते हैं। ■ जटिल और विश्व-व्यापी … Continue reading