Monthly Archives: June 2021

●जानते हुये गलत करना●

## जर्मन भाषा में दर्शनशास्त्री पीटर स्लोटरजिक की पुस्तक का अँग्रेजी अनुवाद, “क्रिटीक ऑफ सिनिकल रीजन” (Peter Sloterdijk, Critique of Cynical Reason), पच्चीसे-क वर्ष पहले पढा था। पुस्तक में जर्मनी में 1920 के दशक का एक अध्ययन था।    कुछ … Continue reading

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●नगेन्द्र जी की मृत्यु पर●

(इन्कलाबी मजदूर केन्द्र के उपाध्यक्ष नगेन्द्र जी की 47 वर्ष की आयु में 10 जून को दिल्ली में मृत्यु हो गई।) ## शुद्ध लेनिनवादी (स्तालिन-ट्रॉट्स्की- माओ की भर्त्सना से आरम्भ करने वाले) संगठन, आर.एस.पी.आई.(एम-एल) से अलग हुआ आर.पी.पी. (इन्कलाबी सर्वहारा … Continue reading

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●व्हाट्सएप पर “तर्कशील” व्हाट्सएप समूह में●

●”तर्कशील” व्हाट्सएप समूह में “मजदूर बिगुल” से जुड़े श्री अजय द्वारा 7 जून 2021 को डाले “मजदूर बिगुल” के श्री अरविन्द के लेख में हैं : ” … उद्योग और वाणिज्य में लगे श्रमिकों के मामले में तो श्रम कानून … Continue reading

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●Death of Gautam Sen●

{“Marx Forum” promoter Arun Kumar Sinha’s translation of Majdoor Samachar-Kamunist Kranti post of 27 May 2021 has motivated me to do this translation. I have taken liberties that no other translator could have taken.} ●Bengali language magazine Mazdoor Mukti editor … Continue reading

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●इन दस-बारह दिन के दौरान●

# कई वर्ष पहले स्लोटरजिक की पुस्तक “क्रिटीक ऑफ सिनिकल रीजन” Critique of Cynical Reason पढी थी। पुस्तक में 1920 के दशक में जर्मनी में हिटलर/नाजीवाद के उदय तथा विस्तार का एक अध्ययन था। उसे एक प्रस्थान-बिन्दु बना कर, सामाजिक … Continue reading

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●गौतम सेन की मृत्यु●

●बांग्ला पत्रिका “मजदूर मुक्ति” के सम्पादक गौतम सेन की 25 मई को 73 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। गौतम सेन को याद करते हुये स्मृति में शेष 1986-1996 के दौरान के चलचित्र के कुछ अंश प्रस्तुत हैं। भूल-चूक … Continue reading

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●ढालना कुछ मँहगे पुर्जे●

सत्ता, राजसत्ता अपने तन्त्र के कुछ मँहगे पुर्जे ढालने में उल्लेखनीय व्यय करती हैं। # बात 1972 की है। मैं आई.आई.टी. मद्रास में पढता था। मुझे भारत सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी की 400 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति के अतिरिक्त … Continue reading

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●●जाना है मैं के पार●●

●लगता है कि समाज में विभाजन ने, ऊँच-नीच ने “मैं” को जन्म दिया। सिर-माथों से बनते पिरामिडों वाले सामाजिक गठनों के विस्तार के साथ “मैं” फैलता गया। ●ऊँच-नीच की धुरी, साम-दाम-दण्ड-भेद ने समय के साथ “एक मैं” में “कई मैं” … Continue reading

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Fringe Left

German-Dutch Left and Italian Left did not break from the social-democratic framework and its underlying social strata despite their critiques of many facets of social-democratic theory and practice in Germany and especially of the Bolshevik Party in Russia after October … Continue reading

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●आज एक मैटल पॉलिश वरकर से इधर डर की महामारी पर बातचीत हुई।●

कोरोना की बीमारी लग जाने के डर से माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी-बच्चों, पड़ोसियों, दोस्तों की देखभाल से मुँह चुराने की इतनी चर्चायें देखने-सुनने पर अचरज होता है। मरने पर लाश की दुर्गति!! बातें 2003 की हैं। फरीदाबाद में बुढिया नाले पर … Continue reading

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