Category Archives: In Hindi

सामान्य हैं फैक्ट्रियों में बेगार और बन्धुआ मजदूरी

जनवरी 2010 से फरवरी 2020 अंकों पर आधारित “सतरंगी” छापने के पश्चात अब मजदूर समाचार के जनवरी 2005 से दिसम्बर 2009 अंकों की सामग्री से पुस्तक “सतरंगी-2” तैयार कर रहे हैं। बत्तीसवाँ अंश मई 2008 अंक से है। भारत सरकार … Continue reading

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आठवीं कक्षा छात्र

जनवरी 2010 से फरवरी 2020 अंकों पर आधारित “सतरंगी” छापने के पश्चात अब मजदूर समाचार के जनवरी 2005 से दिसम्बर 2009 अंकों की सामग्री से पुस्तक “सतरंगी-2” तैयार कर रहे हैं। इकतीसवाँ अंश  सितम्बर 2008 अंक से है। अगस्त 2008 … Continue reading

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दैनिक जीवन की कुछ सहज बातें

जनवरी 2010 से फरवरी 2020 अंकों पर आधारित “सतरंगी” छापने के पश्चात अब मजदूर समाचार के जनवरी 2005 से दिसम्बर 2009 अंकों की सामग्री से पुस्तक “सतरंगी-2” तैयार कर रहे हैं। तीसवाँ अंश  सितम्बर 2008 अंक से है। ● बात … Continue reading

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उपचार और बाजार

यहाँ बीमारियों की बात नहीं करेंगे। बीमारियों के कारणों की चर्चा भी नहीं करेंगे। निगाह अँग्रेजी, यानी ऐलोपैथिक उपचार पर रखेंगे। बात 1984-85 की है। तब मैं मेडिकल कॉलेज का छात्र था। मेरी इच्छा एक अच्छा चिकित्सक बनने की थी। … Continue reading

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चक्रव्यूह मरने-मारने का

● स्वयं को दोष देना। अपने को खुद काटना। व्यक्ति का प्रतिदिन कई-कई बार मरना। ● आस-पास वालों को दोष देना। ईर्द-गिर्द वालों की टाँग खींचना। मनमुटाव और चुगली का बोलबाला। ● इस-उस समूह को दोषी ठहराना। समूहों का एक-दूसरे … Continue reading

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युवा मजदूर

एक्शन कन्स्ट्रक्शन इक्विपमेन्ट (ए सी ई) श्रमिक : “दुधौला गाँव में कम्पनी की नई फैक्ट्री से 150 ट्रैक्टर मण्डी में भेजे जा चुके हैं। रोज साढे बारह घण्टे की शिफ्ट में हम 70 मजदूर 5-6 ट्रैक्टर बनाते हैं। एक ने … Continue reading

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कुछ बातें जातियों की

गण-कबीला-ट्राइब-क्लैन को सामाजिक संगठन का एक स्वरूप कहा जाता है। मिलते-जुलते रूप में यह मनुष्यों के बीच विश्व-भर में रहे हैं। काफी क्षेत्रों में, बड़ी आबादियों में इनका उल्लेखनीय प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। गण को रक्त-सम्बन्ध से … Continue reading

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मन करता है आतंकवादी बन जाऊँ

युवा मजदूर : छह महीने में तो ब्रेक कर ही देते हैं। नई जगह लगने में कई बार महीना बीत जाता है। खाली बैठे दस दिन हो जाते हैं तो निराशा बढ़ने लगती है। मरने को मन करता है … … Continue reading

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आईये अपने आप से कुछ बातें करें

अपने आप से बात करने के लिये समय चाहिये। और यहाँ मरने की फुर्सत नहीं है। पर बात इतनी ही नहीं लगती। वास्तव में खुद से बात करने में डर लगता है। स्वयं से बात करने से बचने के लिये … Continue reading

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यह बातें भी पढिये

फरीदाबाद में मार्च 1982 में मजदूर समाचार का प्रकाशन आरम्भ होते ही धमकाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। उस समय महीने में एक हजार प्रतियाँ छपती थी। 1993 से मजदूर समाचार की हर महीने पाँच हजार प्रतियाँ छपने लगी। … Continue reading

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