Tag Archives: सतरंगी-2
आप-हम क्या-क्या करते हैं … (14)
# अपने स्वयं की चर्चायें कम की जाती हैं। खुद की जो बात की जाती हैं वो भी अक्सर हाँकने-फाँकने वाली होती हैं, स्वयं को इक्कीस और अपने जैसों को उन्नीस दिखाने वाली होती हैं। या फिर, अपने बारे में … Continue reading
निर्भरता-आत्मनिर्भरता-परस्पर निर्भरता बनाम … बनाम क्या?
नये समाज के लिये नई भाषा भी आवश्यक लगती है। सामान्य तौर पर शासक समूह की, विद्यमान सत्ता की धारणायें-विचार-भाषा समाज में हावी होती हैं। ऊँच-नीच वाले सामाजिक गठनों में पीड़ित-शोषित समूहों का विरोध भी आमतौर पर सत्ता की धारणाओं-विचारों-भाषाओं … Continue reading
कुछ बातें गुड़गाँव से
2000 में एक नारीवादी युवती और एक युवा अन्तर्राष्ट्रीयतावादी मजदूर फरीदाबाद आये थे। जुलाई 2005 में होण्डा मानेसर फैक्ट्री मजदूरों और पुलिस की भिड़ंत अन्तर्राष्ट्रीय समाचार बनी थी। इस पृष्ठभूमि में अन्तर्राष्ट्रीयतावादी मजदूर मित्र 2007 में गुड़गाँव में एक कॉल … Continue reading
कुछ छोटी-छोटी बातें
कई तरह की पेट की बीमारियों, विभिन्न प्रकार के उदर रोगों की भरमार है। “पापी पेट” का जिक्र और बहुत कुछ को व्यक्त करने के लिये किया जाता है परन्तु यहाँ हम स्वयं को उदर रोगों तक ही सीमित रखेंगे। … Continue reading
पहचान और पहचान की जटिलतायें (2)
पहचान की राजनीति, Identity Politics विभाजित सामाजिक गठनों में अन्तर्निहित लगती है। सत्ता के लिये पहचान की राजनीति चीर-फाड़ का काम करती है। ऊँच-नीच जिस सामाजिक सम्बन्ध पर आधारित होती है वह सम्बन्ध जब नाकारा होने लगता है तब विद्यमान … Continue reading
डेल्फी पैकॉर्ड इलेक्ट्रिक सिस्टम
डेल्फी पैकॉर्ड इलेक्ट्रिक सिस्टम वरकर : “42 मील पत्थर दिल्ली-जयपुर रोड़, गुड़गाँव स्थित फैक्ट्री में कारों का बिजली का ताना-बाना तैयार किया जाता है जिसे यहाँ मारुति, होण्डा, जनरल मोटर फैक्ट्रियों को दिया जाता है तथा अमरीका स्थित निसान की … Continue reading
समझाना बनाम समुदाय-रूपी तालमेल (3)
■ हम मानवों ने विश्व-व्यापी जटिल ताने-बाने बुन लिये हैं। जाने-अनजाने में हमारे द्वारा निर्मित हावी ताने-बाने हम मानवों के ही नियन्त्रण से बाहर हो गये हैं। हावी ताने-बाने वर्तमान समाज व्यवस्था का गठन करते हैं। ■ जटिल और विश्व-व्यापी … Continue reading
मसला यह व्यवस्था है (6)
इस-उस नीति, इस-उस पार्टी, यह अथवा वह लीडर की बातें शब्द-जाल हैं, शब्द-आडम्बर हैं ● राजे-रजवाड़ों के दौर में, बेगार-प्रथा के दौर में मण्डी-मुद्रा का प्रसार कोढ में खाज समान था। छोटे-से ग्रेट ब्रिटेन के इंग्लैण्ड-वेल्स-स्कॉटलैण्ड-आयरलैण्ड में भेड़ों ने, भेड़-पालन … Continue reading
दिल्ली के संग अमरीका में मजदूरों के गत्ते (3)
कुछ पृष्ठभूमि आवश्यक है ● गेडोर हैण्ड टूल्स कम्पनी का मुख्यालय जर्मनी में। गेडोर कम्पनी की छह फैक्ट्रियाँ भारत में (फरीदाबाद में तीन और एक-एक कुण्डली, औरंगाबाद, तथा जालना में)। इन फैक्ट्रियों में 7300 वरकरों द्वारा वाहनों के टूल्स का … Continue reading
सेन्डेन विकास
इस सन्दर्भ में अंश भेजते रहेंगे। ग्यारहवें अंश में फरीदाबाद में फैक्ट्रियों में हुये परिवर्तनों को दर्शाती एक परमानेन्ट मजदूर की बातें हैं। जनवरी 2006 अंक से हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन प्रक्रिया में प्रवेश ने यूरोप और अमरीका में 1970 … Continue reading