Category Archives: In Hindi

● ई एस आई कॉरपोरेशन ●

11 जनवरी को वैक्सीन लगवाने ई एस आई अस्पताल गये पड़ोसी से 12 जनवरी को सुबह कुछ बातचीत हुई। रात बारह घण्टे की ड्युटी कर लौटे थे। फैक्ट्रियों में प्रवेश के लिये वैक्सीन लगा होना अनिवार्य कर दिया है। ई … Continue reading

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किसान आन्दोलन, 8 और 9 जनवरी 2022

● पहली जनवरी को व्हाट्सएप पर श्री सज्जन कुमार, महासचिव, प्रकृति-मानव केन्द्रित जन आन्दोलन से संगठन की पंजाब राज्य समिति द्वारा 8 और 9 जनवरी को पर्यावरण तथा कृषि के पतन के कारण चौतरफा संकट से रूबरू पंजाब के सन्दर्भ … Continue reading

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●जानते हुये गलत करना●

## जर्मन भाषा में दर्शनशास्त्री पीटर स्लोटरजिक की पुस्तक का अँग्रेजी अनुवाद, “क्रिटीक ऑफ सिनिकल रीजन” (Peter Sloterdijk, Critique of Cynical Reason), पच्चीसे-क वर्ष पहले पढा था। पुस्तक में जर्मनी में 1920 के दशक का एक अध्ययन था।    कुछ … Continue reading

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●नगेन्द्र जी की मृत्यु पर●

(इन्कलाबी मजदूर केन्द्र के उपाध्यक्ष नगेन्द्र जी की 47 वर्ष की आयु में 10 जून को दिल्ली में मृत्यु हो गई।) ## शुद्ध लेनिनवादी (स्तालिन-ट्रॉट्स्की- माओ की भर्त्सना से आरम्भ करने वाले) संगठन, आर.एस.पी.आई.(एम-एल) से अलग हुआ आर.पी.पी. (इन्कलाबी सर्वहारा … Continue reading

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●व्हाट्सएप पर “तर्कशील” व्हाट्सएप समूह में●

●”तर्कशील” व्हाट्सएप समूह में “मजदूर बिगुल” से जुड़े श्री अजय द्वारा 7 जून 2021 को डाले “मजदूर बिगुल” के श्री अरविन्द के लेख में हैं : ” … उद्योग और वाणिज्य में लगे श्रमिकों के मामले में तो श्रम कानून … Continue reading

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●इन दस-बारह दिन के दौरान●

# कई वर्ष पहले स्लोटरजिक की पुस्तक “क्रिटीक ऑफ सिनिकल रीजन” Critique of Cynical Reason पढी थी। पुस्तक में 1920 के दशक में जर्मनी में हिटलर/नाजीवाद के उदय तथा विस्तार का एक अध्ययन था। उसे एक प्रस्थान-बिन्दु बना कर, सामाजिक … Continue reading

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●गौतम सेन की मृत्यु●

●बांग्ला पत्रिका “मजदूर मुक्ति” के सम्पादक गौतम सेन की 25 मई को 73 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। गौतम सेन को याद करते हुये स्मृति में शेष 1986-1996 के दौरान के चलचित्र के कुछ अंश प्रस्तुत हैं। भूल-चूक … Continue reading

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●ढालना कुछ मँहगे पुर्जे●

सत्ता, राजसत्ता अपने तन्त्र के कुछ मँहगे पुर्जे ढालने में उल्लेखनीय व्यय करती हैं। # बात 1972 की है। मैं आई.आई.टी. मद्रास में पढता था। मुझे भारत सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी की 400 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति के अतिरिक्त … Continue reading

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●●जाना है मैं के पार●●

●लगता है कि समाज में विभाजन ने, ऊँच-नीच ने “मैं” को जन्म दिया। सिर-माथों से बनते पिरामिडों वाले सामाजिक गठनों के विस्तार के साथ “मैं” फैलता गया। ●ऊँच-नीच की धुरी, साम-दाम-दण्ड-भेद ने समय के साथ “एक मैं” में “कई मैं” … Continue reading

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●आज एक मैटल पॉलिश वरकर से इधर डर की महामारी पर बातचीत हुई।●

कोरोना की बीमारी लग जाने के डर से माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी-बच्चों, पड़ोसियों, दोस्तों की देखभाल से मुँह चुराने की इतनी चर्चायें देखने-सुनने पर अचरज होता है। मरने पर लाश की दुर्गति!! बातें 2003 की हैं। फरीदाबाद में बुढिया नाले पर … Continue reading

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