Monthly Archives: October 2022
मसला यह व्यवस्था है (6)
इस-उस नीति, इस-उस पार्टी, यह अथवा वह लीडर की बातें शब्द-जाल हैं, शब्द-आडम्बर हैं ● राजे-रजवाड़ों के दौर में, बेगार-प्रथा के दौर में मण्डी-मुद्रा का प्रसार कोढ में खाज समान था। छोटे-से ग्रेट ब्रिटेन के इंग्लैण्ड-वेल्स-स्कॉटलैण्ड-आयरलैण्ड में भेड़ों ने, भेड़-पालन … Continue reading
दिल्ली के संग अमरीका में मजदूरों के गत्ते (3)
कुछ पृष्ठभूमि आवश्यक है ● गेडोर हैण्ड टूल्स कम्पनी का मुख्यालय जर्मनी में। गेडोर कम्पनी की छह फैक्ट्रियाँ भारत में (फरीदाबाद में तीन और एक-एक कुण्डली, औरंगाबाद, तथा जालना में)। इन फैक्ट्रियों में 7300 वरकरों द्वारा वाहनों के टूल्स का … Continue reading
सेन्डेन विकास
इस सन्दर्भ में अंश भेजते रहेंगे। ग्यारहवें अंश में फरीदाबाद में फैक्ट्रियों में हुये परिवर्तनों को दर्शाती एक परमानेन्ट मजदूर की बातें हैं। जनवरी 2006 अंक से हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन प्रक्रिया में प्रवेश ने यूरोप और अमरीका में 1970 … Continue reading
होण्डा से हीरो और फिर हीरो से होण्डा
जुलाई 2005 के बाद से अन्य कुछ धाराओं की तरह मजदूर समाचार का ध्यान भी होण्डा मानेसर फैक्ट्री में मजदूरों की गतिविधियों में बढा। यूनियन बनने को मजदूरों की विजय प्रसारित करने वालों के विपरीत था मजदूर समाचार का आंकलन। … Continue reading
हीरो का होण्डा
हीरो होण्डा फैक्ट्री में नियमित जाने वाला व्यक्ति : “हीरो होण्डा की गुड़गाँव फैक्ट्री में 1350-1400 स्थाई मजदूर तथा ठेकेदार के जरिये रखे 5500 वरकर काम करते हैं — अन्य ठेकेदार के जरिये रखे 300-400 सेक्युरिटी गार्ड भी हैं। ठेकेदार … Continue reading
कृपया सूअरों को गाली न दें
अगस्त के आरम्भ में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों के एक समूह द्वारा संसद भवन को सूअरबाड़ा प्रचारित करने पर विभिन्न प्रकार के राष्ट्रवादी विरोध में चीखे। ● प्रकृति के एक अंश के तौर पर अपनी पहचान से मानव किस … Continue reading
एटम बमों से अधिक खतरनाक हैं परमाणु बिजलीघर
● झूठ बोलना और छिपाना सरकारों के चरित्र में है। अर्ध-सत्य सरकारों की सामान्य क्रिया का अंग है। आडम्बर और प्रतीक — दिन में मोमबत्तियाँ जला कर मृतकों को श्रद्धांजलि और शान्ति के लिये प्रार्थनायें दमन-शोषण के तन्त्रों के कर्णधारों … Continue reading
आप-हम क्या-क्या करते हैं … (11)
# अपने स्वयं की चर्चायें कम की जाती हैं। खुद की जो बात की जाती हैं वो भी अक्सर हाँकने-फाँकने वाली होती हैं, स्वयं को इक्कीस और अपने जैसों को उन्नीस दिखाने वाली होती हैं। या फिर, अपने बारे में … Continue reading
महिला मजदूर
महिला मजदूर : “पति यहाँ दिल्ली में काम करते थे और मैं परिवार के साथ गाँव में रहती थी। मेरे गले में गिल्टी हो गई जिसे गाँव में ऑपरेशन ने और बिगाड़ दिया। बीमारी की जाँच-उपचार कराने पति के पास … Continue reading
सस्ते हैं हाथ
विजय ने कई फैक्ट्रियों में मेन्टेनेंस वरकर की नौकरी की। विजय बात भी खूब करते थे। विजय की पाँच वर्ष पहले मृत्यु हो गई। यहाँ विजय की बातें दे रहे हैं। इन दस वर्ष के दौरान पावर प्रैसों पर सैन्सर … Continue reading