सस्ते हैं हाथ

विजय ने कई फैक्ट्रियों में मेन्टेनेंस वरकर की नौकरी की। विजय बात भी खूब करते थे। विजय की पाँच वर्ष पहले मृत्यु हो गई। यहाँ विजय की बातें दे रहे हैं। इन दस वर्ष के दौरान पावर प्रैसों पर सैन्सर व्यापक स्तर पर लगाने के कारण हाथ कटने कम हुये हैं। लेकिन 12 घण्टे की शिफ्टें और … और अधिक उत्पादन के लिये मैनेजमेन्टों द्वारा पावर प्रैसों पर से सैन्सर हटा देना हाथों की बलि लेना जारी रखे हैं।

अनुभवी पावर प्रैस मैकेनिक : “फरीदाबाद में औसतन हर रोज पावर प्रैसों में 10 मजदूरों की उँगलियाँ कटती हैं।

“पावर प्रैसों में 80 प्रतिशत एक्सीडेन्ट ओपन डाई लगाने के कारण होते हैं। ओपन डाई मैकेनिकल पावर प्रैस में लगायें चाहे न्यूमैटिक में — एक्सीडेन्ट होना ही है। ओपन डाई खर्चा बचाने के लिये लगाते हैं — बन्द डाई की कीमत ओपन डाई की कीमत से ढाई गुणा ज्यादा।

“ओपन डाई खुली होती है और हाथ से कम्पोनेन्ट डाई के अन्दर रखना तथा बाहर निकालना पड़ता है। ऐसे में प्रैस जब डबल आ जाती है तब हाथ कट जाता है। थके होने पर ध्यान नहीं रहने के कारण हाथ ज्यादा कटते हैं — फरीदाबाद में ज्यादातर जगह रोज 12 घण्टे तो काम करना ही पड़ता है जबकि पावर प्रैस पर 8 घण्टे ही ज्यादा होते हैं।

“मैकेनिकल प्रैस की तुलना में न्यूमैटिक प्रैस में डबल आने की सम्भावना काफी कम होती है पर न्यूमैटिक की कीमत दुगुनी है। ऐसे में फैक्ट्रियों में मैकेनिकल और न्यूमैटिक, दोनों प्रैस हैं।

“सस्ते के ही फेर में ऑपरेटर की जगह हैल्पर को पावर प्रैस पर लगाना। प्रैस में सस्ते पार्ट्स लगाना : बुश 200 रुपये की जगह 130 रुपये वाला; रोलिंग 60 रुपये किलो वाले ई एन 24 की जगह 32 रुपये किलो वाले एम एस की; स्प्रिंग 100 रुपये वाले की जगह 25 रुपये का; मशीन में तेल तक नहींडालना — खर्च घटाने के लिये तेल-ग्रीस रखना ही नहीं; … हाथ काटने के प्रबन्ध हैं यह।

“ज्यादा उत्पादन के चक्कर में मोटर की पुली बढा कर पावर प्रैस के स्ट्रोक बढा देना एक्सीडेन्ट बढाना लिये है। अधिक उत्पादन निर्धारित करना अथवा इनसेन्टिव का लालच देना या फिर कुछ सुस्ताने के चक्कर में पैडल दबा कर लगातार स्ट्रोक लगाना … बीच-बीच में मशीन को रोक कर जाँच नहीं करना एक्सीडेन्ट बढाना लिये है।

“50 टन की प्रैस खाली नहीं है तो 30 टन वाली पर काम करवाना। तीस टन वाली पर 50 टन का लोड दे देते हैं — ज्यादा लोड की वजह से रोलिंग चाबी मुड़ जाती है। रोलिंग चाबी मुड़ने-कटने पर नई लगाने की बजाय वैल्डिंग करके लगा देते हैं — 100 रुपये की जगह 5 रुपये में काम निकालना। रोलिंग चाबी खराब होने से प्रैस डबल आ जाती है और हाथ कट जाता है। प्रैस के पैडल में लगी स्प्रिंग ढीली होने पर 70-80 रुपये बचाने के चक्कर में स्प्रिंग बदलते नहीं। पैडल स्प्रिंग ढीली होने से लैच हुक (स्टोपर) काम नहीं करता तब प्रैस डबल आ जाती है और हाथ कट जाता है। लिमिट स्विच फेल होने पर न्यूमैटिक प्रैस डबल आ जाती है और हाथ कट जाता है …

“पावर प्रैसों से हाथ कटने का मुख्य कारण खर्च बचाना है, अधिक व सस्ते में उत्पादन करवाना है।”

(मजदूर समाचार, जनवरी 2005 अंक से)
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