Category Archives: आदान-प्रदान | Conversational Interactions
● A Note on Peasants in the Indian Subcontinent ●
In response to a mail from a friend in Europe : # Victory of British East India Company in the 1757 Battle of Plassey can be seen as the beginning of the transfer of state power from feudal interests to … Continue reading
A 2012 interaction between Primitive Anarchists and Majdoor Samachar/Kamunist Kranti
In early 1990s, a Maoist student leader interacted with Majdoor Samachar. Together with his friends he left the Maoist organisation and in the university they formed a Group Against Wage Slavery. Questions on representation and delegation were raised by the … Continue reading
छुट-पुट धमकियाँ और मार-पीट -3
## कम्युनिस्ट क्रान्ति के हिन्दी और अँग्रेजी में 1986 तथा 1988 में छपने ने दुनिया में हमारे सम्पर्क बढाये थे। इतालवी वाम में जड़ों वाले इंग्लैण्ड में कम्युनिस्ट वरकर्स ऑरगैनाइजेशन के दो सदस्य फरीदाबाद आये थे। विश्व में राजसत्ता तथा … Continue reading
● छुट-पुट धमकियाँ और मार-पीट -2
## 1982 में गेडोर हैण्ड टूल्स फैक्ट्री में यूनियन का चुनाव करवाने के लिये बस्ती-बस्ती जा कर साथियों ने हस्ताक्षर करवाये। तीनों प्लान्टों के डेढ हजार के करीब मजदूरों के दस्तखत ले कर लन्च ब्रेक में फस्ट प्लान्ट के भूपेन्द्र … Continue reading
ताई की स्मृति में
##### ताई की स्मृति में ##### आज, 15 नवम्बर को ताईजी की मृत्यु हो गई। एक पीढी सम्पन्न-सी हो गई। ताई के दो बटियाँ और पाँच बेटे हैं। ताई के पोते-पोतियों के सन्तान हैं। ताई और मेरी माँ के पहली … Continue reading
वसन्त 2025
लगता है कि शीर्षक “” अधिक उपयुक्त होता। परन्तु सामग्री मजदूर समाचार के जनवरी 2013 अंक से है और शीर्षक “मार्च 2016” है। इन सात वर्षों में गति तथा विस्तार चकित करने वाले रहे हैं। इधर विश्व में उल्लेखनीय क्षेत्रों … Continue reading
रै ये प्रगति आर विकास के सैं ? आर के सै यो भ्रष्टाचार?
# प्रगति-विकास-भ्रष्टाचार एक-दूसरे से घनिष्ठता से जुड़े हैं। फिर भी, उल्लेखनीय समूहों में प्रगति-विकास को सकारात्मक और भ्रष्टाचार को नकारात्मक के अर्थों में लिया जाता है। # कह सकते हैं कि स्वामियों और सामन्तों की क्रूरता की तुलना में दूर-दराज … Continue reading
पैसा सब कुछ है …. पैसा सब कबाड़ा कर रहा है।
पैसा सब कुछ है …. पैसा सब कबाड़ा कर रहा है। इस सन्दर्भ में मजदूर समाचार के नवम्बर 2010 अंक से “रुपये का उत्पादन और वितरण” प्रस्तुत है।
A Glimpse of Social Churnings
A Glimpse of Social Churnings Attempts at conversational interactions during global Covid lockdowns. 47 pages booklet A Majdoor Samachar Kamunist Kranti presentation September 2020
चालाकी-समझदारी और सीधापन
# चालाकी यह नहीं देखती कि सम्बन्धों का क्या हो रहा है। # समझदारी सम्बन्धों को टूटने नहीं देती क्योंकि कहीं न कहीं, कभी न कभी काम आ सकते हैंं। काम चलाऊ सम्बन्ध। मधुर सम्बन्ध नहीं। # चालाकी और समझदारी … Continue reading