डेल्फी पैकॉर्ड इलेक्ट्रिक सिस्टम वरकर : “42 मील पत्थर दिल्ली-जयपुर रोड़, गुड़गाँव स्थित फैक्ट्री में कारों का बिजली का ताना-बाना तैयार किया जाता है जिसे यहाँ मारुति, होण्डा, जनरल मोटर फैक्ट्रियों को दिया जाता है तथा अमरीका स्थित निसान की कार फैक्ट्री को निर्यात भी किया जाता है। डेल्फी की नोएडा में फैक्ट्री के संग 1995 में इस फैक्ट्री की स्थापना हुई। गुड़गाँव में उद्योग विहार में डेल्फी की एक छोटी फैक्ट्री और कार्यालय भी हैं। पुणे में नई फैक्ट्री की बातें …
“डेल्फी फैक्ट्री में उत्पादन कार्य के लिये युवा मजदूर भर्ती किये गये और स्थाई किये गये। सात वर्ष में, 2002 में फैक्ट्री में 750 स्थाई मजदूर काम करने लगे थे कि कम्पनी ने 15 महीने की तनखा ले कर इस्तीफा वाली वी आर एस लगाई। हम सब नौजवान थे पर फिर भी 50 मजदूरों ने भी नौकरी नहीं छोड़ी। ऐसे में माँग-पत्र पर यूनियन और कम्पनी में अखाड़ेबाजी हुई। यूनियन ने कहा कि कम्पनी दिवाली उपहार नहीं दे रही, मैनेजमेन्ट ने कहा कि उपहार दे रहे हैं। यूनियन ने कहा कि महिला मजदूरों के साथ मैनेजमेन्ट ने दुर्व्यवहार किया है और कम्पनी ने अनुशासनहीनता का आरोप लगा यूनियन प्रधान को निलम्बित कर दिया। बस उपलब्ध करवाई – बस उपलब्ध नहीं करवाई की जुगलबन्दी में 9 अक्टूबर 2002 की रात मजदूर फैक्ट्री के अन्दर रहे। फिर 10 अक्टूबर को यूनियन ने कहा कि मैनेजमेन्ट समझौता वार्ता के लिये तैयार हो गई है इसलिये घर जाओ। हम 11 अक्टूबर को फैक्ट्री पहुँचे तो गेट पर तालाबन्दी का नोटिस पाया। तीन महीने की तालाबन्दी के जरिये मजदूरों को नरम कर कम्पनी ने फिर वही वी आर एस पेश की और यूनियन प्रधान ने पहल कर बड़ी संँख्या में मजदूरों से इस्तीफे लिखवाये। हम नादान थे, कईयों ने तो देखा-देखी में नौकरी छोड़ दी। फिर भी इतने मजदूर नहीं गये जितने कम्पनी चाहती थी। सन् 2003 में ही कम्पनी ने तीसरी बार वही वी आर एस लगाई। इस प्रकार स्थाई मजदूरों की संँख्या 750 से 250 कर दी गई और उत्पादन कार्य में कम्पनी ने ठेकेदारों के जरिये वरकर रखने शुरू किये।
“2007 के आरम्भ में डेल्फी कम्पनी की इस फैक्ट्री में 4 ठेकेदारों के जरिये रखे मजदूरों की संँख्या 2500 हो गई। स्थाई मजदूरों की 8-10 हजार रुपये तनखा की तुलना में ठेकेदारों के जरिये रखे वरकरों का वेतन 2700 रुपये। फरवरी 2007 के आरम्भ में एक दिन अचानक चार ठेकेदारों के जरिये रखे वरकर फैक्ट्री में प्रवेश करने की बजाय फैक्ट्री के बाहर बैठ गये और तनखा बढाने को कहा। हम ढाई सौ स्थाई मजदूर यूनियन में हैं और हम फैक्ट्री में गये तथा हम ने काम किया। मजदूरों के दसवें हिस्से से, हम 250 स्थाई मजदूरों से उत्पादन क्या खाक होना था। ठेकेदारों के जरिये रखे ढाई हजार मजदूरों की चाणचक्क हड़ताल से कम्पनी हड़बड़ा गई। कम्पनी ने अन्य कम्पनियों से होड़, फैक्ट्री बन्द करने, फैक्ट्री अन्यत्र ले जाने की बातें की और यूनियन से हड़ताल फौरन खत्म करवाने को कहा। यूनियन लीडरों ने कहा कि हम ठेकेदारों के जरिये रखे मजदूरों के साथ भी हैं और कम्पनी के साथ भी। ठेकेदारों के जरिये रखे वरकर नये-नये लड़के हैं फिर भी दो दिन बाद मुश्किल से माने। दो दिन उत्पादन ठप्प रहने के बाद यूनियन उन सब को फैक्ट्री में लाई। इधर हम स्थाई मजदूरों में पुणे ट्रान्सफर की बातों ने छंँटनी का डर फिर पैदा कर दिया है।”
1978 में जनरल मोटर की अमरीका स्थित फैक्ट्रियों में उत्पादन कार्य में 4 लाख 66 हजार स्थाई मजदूर थे। कहावत बन गई थी कि जनरल मोटर कम्पनी को छींक आती है तो अमरीका सरकार को जुकाम हो जाता है। इस सब में काफी कुछ बदला है। स्थाई नौकरी और बड़ी संँख्या के कारण जनरल मोटर के मजदूरों की तनखा औरों से कुछ अधिक थी, उन से अमरीका में पार्ट्स सप्लायर कम्पनियों के वरकरों की तनखा 1980 में 15% कम थी (सन् 2000 में यह 31% कम)। पार्ट्स के लिये जनरल मोटर ने अपने में से डेल्फी नाम से कम्पनी खड़ी की —1999 तक डेल्फी जनरल मोटर कम्पनी का ही हिस्सा थी।
अमरीका में जनरल मोटर की फैक्ट्रियों में उत्पादन कार्य में स्थाई मजदूरों की संँख्या 1993 में 2 लाख 33 हजार कर जून 2006 में यह 70 हजार कर दी गई। डेल्फी कम्पनी ने अक्टूबर 2005 में स्वयं को दिवालिया घोषित कर अमरीका स्थित अपनी फैक्ट्रियों में मजदूरों के वेतन आधे से भी कम किये, छुट्टियाँ कम की, स्वास्थ्य तथा सेवानिवृति की स्थितियाँ बदतर की। जनरल मोटर-डेल्फी ने अमरीका में यह सब करने के लिये यूनियन को एक औजार बनाया है।
अमरीका में दिवालिया के प्रावधान और यूनियन को इस्तेमाल करती डेल्फी कम्पनी की 2005 में दुनियाँ-भर में 160 फैक्ट्रियों में एक लाख 80 हजार मजदूर काम करते थे। डेल्फी की अमरीका में 33 फैक्ट्रियाँ, मेक्सिको में, मोरोक्को में, स्पेन में, भारत में, चीन में … हर जगह कानून अनुसार शोषण के संग-संग कानून से परे शोषण भी — चीन में शंघाई नगर स्थित डेल्फी फैक्ट्री में मजदूर की तनखा 13 हजार रुपये, मोरोक्को में कानून सप्ताह में 44 घण्टे काम का और 4200 मजदूरों (3 हजार महिला मजदूर) वाली डेल्फी फैक्ट्री में हफ्ते में 72 घण्टे काम …
— (मजदूर समाचार, जून 2007 अंक)