Category Archives: Our Publications
●● मार्च 2020 के बाद मार्च 2022 में
# फरीदाबाद और आई एम टी मानेसर में कुछ स्थानों के बाद शनिवार, 21 मार्च 2020 को “मजदूर समाचार पुस्तिका एक” के साथ सुबह की शिफ्टों के समय हम फरीदाबाद में थर्मल पावर हाउस रोड़ पर थे। फैक्ट्री मजदूरों में … Continue reading
● दस पन्ने की पुस्तिका●
# आपका, आप लोगों का अनुमान यह है। मेरा, हम लोगों का आंकलन यह है। बातचीत करते हैं। आदान-प्रदान करते हैं। आपको कुछ सही लगे तो उसे ले लें। जो सही नहीं लगे उसे छोड़ दें। ऐसा ही हम करेंगे। … Continue reading
Fragments & Pathways For Imagining a Near Future | Printed Copies Available
Contents: •Knowingly Doing Wrong •Parts Of A Journey •Some Factory and Area Reports •Man-Woman Relations •Peasants and Artisans in the Indian Subcontinent •An Interaction With Primitive Anarchists In 2012 •Framing Beyond Identity Politics •July 2017 Internationalists Meeting in Greece •Pandemic … Continue reading
मजदूर समाचार पुस्तिका पन्द्रह
“मजदूर समाचार पुस्तिका पन्द्रह” का आनन्द लें। जनवरी 2007 से दिसम्बर 2007 सम्भव है कुछ प्रस्थान बिन्दु मिलें। # आदान-प्रदान बढाने के लिये अपने ग्रुपों में फॉर्वर्ड करें। # अभी यह पुस्तिका छापेंगे नहीं। व्हाट्सएप और ईमेल द्वारा इसे प्रसारित … Continue reading
“मार्च-आरम्भ से अक्टूबर-आरम्भ 2020 के दौरान व्हाट्सएप पर मजदूर समाचार” पुस्तक।
मार्च-सितम्बर में पूर्णबन्दी के कारण ऑनलाइन आदान-प्रदान के प्रयास अधिक रहे। अँग्रेजी में यह अलग से एकत्र किये हैं। हिन्दी में मार्च-आरम्भ से अक्टूबर-आरम्भ के दौरान के व्हाट्सएप पर आदान-प्रदान के प्रयास यहाँ एकत्र किये हैं। तिथि अनुसार हैं। लगता … Continue reading
मजदूर समाचार पुस्तिका चौदह
“मजदूर समाचार पुस्तिका चौदह” का आनन्द लें। जनवरी 2008 से दिसम्बर 2008 सम्भव है कुछ प्रस्थान-बिन्दु मिलें। # आदान-प्रदान बढाने के लिये अपने ग्रुपों में फॉर्वर्ड करें। # दिल्ली और इर्द-गिर्द के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थिति को देखते हुये अभी … Continue reading
वसन्त 2025
लगता है कि शीर्षक “” अधिक उपयुक्त होता। परन्तु सामग्री मजदूर समाचार के जनवरी 2013 अंक से है और शीर्षक “मार्च 2016” है। इन सात वर्षों में गति तथा विस्तार चकित करने वाले रहे हैं। इधर विश्व में उल्लेखनीय क्षेत्रों … Continue reading
रै ये प्रगति आर विकास के सैं ? आर के सै यो भ्रष्टाचार?
# प्रगति-विकास-भ्रष्टाचार एक-दूसरे से घनिष्ठता से जुड़े हैं। फिर भी, उल्लेखनीय समूहों में प्रगति-विकास को सकारात्मक और भ्रष्टाचार को नकारात्मक के अर्थों में लिया जाता है। # कह सकते हैं कि स्वामियों और सामन्तों की क्रूरता की तुलना में दूर-दराज … Continue reading
पैसा सब कुछ है …. पैसा सब कबाड़ा कर रहा है।
पैसा सब कुछ है …. पैसा सब कबाड़ा कर रहा है। इस सन्दर्भ में मजदूर समाचार के नवम्बर 2010 अंक से “रुपये का उत्पादन और वितरण” प्रस्तुत है।
A Glimpse of Social Churnings
A Glimpse of Social Churnings Attempts at conversational interactions during global Covid lockdowns. 47 pages booklet A Majdoor Samachar Kamunist Kranti presentation September 2020