— जर्मनी से —

जनवरी 2010 से फरवरी 2020 अंकों पर आधारित “सतरंगी” छापने के पश्चात अब मजदूर समाचार के जनवरी 2005 से दिसम्बर 2009 अंकों की सामग्री से पुस्तक “सतरंगी-2” तैयार कर रहे हैं। छत्तीसवाँ अंश जुलाई 2008 अंक से है।

सन् 2000 में जर्मन भाषी एक युवा फरीदाबाद मिलने आये थे। वे फिर 2007 में एक कॉल सेन्टर में वर्क वीजा पर गुड़गाँव आये तब उनके साथ नियमित बातचीतें हुई। जर्मनी लौट कर वे एक फैक्ट्री में लगे थे। उन्होंने जून 2008 में जो पत्र भेजा था उसका हिन्दी में अनुवाद मजदूर समाचार में छापा था। यहाँ पुनः प्रस्तुत है।

 … मर्सीडीज वाले परिसर में ही थिसेन-क्रुप फैक्ट्री में काम करने लगा हूँ। हम शीट मैटल का काम करते हैं, प्रेस शॉप में सब प्रकार के धातु के पुर्जे बनते हैं। हम मर्सीडीज के संग ऑडी, फॉक्स वैगन, स्कोडा, फोर्ड, रिनोल्ट कारों के पुर्जे भी बनाते हैं।

हम मैटल ग्राइन्डिंग का कार्य करते हैं और आपूर्ति की स्थानीय लड़ी में हमारा विभाग प्रारम्भिक स्तर का है। आधिकारिक तौर पर हम जैड ए ए द्वारा रखे गये हैं पर थिसेन में अन्य जैड ए ए अस्थाई मजदूरों को दिया जाने वाला 94 सेन्ट प्रतिघण्टा वाला बोनस हमें नहीं दिया जाता क्योंकि मैटल ग्राइन्डिंग विभाग थिसेन ने जैड ए ए को कार्य करवाने के लिये दिया हुआ है। हम ठेकेदार के जरिये रखे भी गये हैं और नहीं भी रखे गये हैं!

कर-पूर्व साढे छह से कुछ कम यूरो प्रतिघण्टा हमारा वेतन है जो कि 800 यूरो प्रतिमाह से कम पड़ता है अगर हम प्रतिमाह दो सप्ताह रात पाली में काम नहीं करें। यदि मैं रोज बीस सिगरेट पीता हूँ (सब मजदूर यह करते हैं!) तो सिगरेटों पर मेरा खर्च 130 यूरो प्रतिमाह हुआ। अगर एक कप कॉफी और एक समय का भोजन कैन्टीन में लेते हैं तो यह महीने में 150 यूरो के हुये।

काम सख्त है, ढेरों शोर — कान बन्द करने के लिये हमें प्लग मिलते हैं पर फिर भी शिफ्ट समाप्ति पर हमारे कान गूंँजते रहते हैं। धातु की धूल बहुत रहती है — हमें मास्क मिलते हैं पर दो घण्टे बाद थूक काला निकलता है और कुछ मजदूरों की नाक से रक्त बहता है।

एक शिफ्ट में हर मजदूर को 700 के करीब मैटल पार्ट ग्राइन्ड करने पड़ते हैं। भारी औजार के साथ कलाईयों को 8 घण्टे मोड़ने और घुमाने से हमारे जोड़ सूज जाते हैं।

सूचना-पटल पर मैनेजमेन्ट प्रतिदिन का उत्पादन दर्शाती है और कहती है कि निर्धारित उत्पादन पूरा नहीं हुआ तो हमें शनिवार को भी आना होगा। ऐसा होने पर 13 दिन बिना किसी छुट्टी के हमें लगातार काम करना होगा क्योंकि तब हम शनिवार को दोपहर 2 बजे तक काम करेंगे और फिर रविवार को रात 10 बजे हमारी रात पाली आरम्भ होती है जो कि आगामी शनिवार की सुबह 6 बजे तक रहती है। हम लोगों ने तालमेल से शनिवार को काम करने से इनकार कर दिया है।

काम बुरा है इसलिये कुछ लोग तो दो दिन में छोड़ जाते हैं। मैं लगा तब विभाग में हम 20 थे और अब हम 12 हैं। जैड ए ए मैनेजर और थिसेन का एक इंजिनियर अकसर इर्द-गिर्द खड़े रहते हैं और हमारे द्वारा प्रति पीस लिये जाते समय को लिखते रहते हैं ताकि शिफ्ट के टारगेट को बढा सकें।

अधिकतर मजदूर युवा हैं, बीस-बाइस वर्ष के हैं और अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। अधिकतर ने प्रशिक्षण लिया है पर उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिली … मैकेनिक बनने के लिये तीन वर्ष सीखने के बाद अब वे दिन में, रात में सैंकड़ों बार 30 सैकेन्ड वाली क्रिया दोहराते हैं और हताश-निराश हैं।

हर शिफ्ट में हर एक द्वारा किया उत्पादन लिख कर मैनेजर को देने का प्रावधान है। कुछ मजदूर 300 पीस तो कुछ 1200 पीस एक शिफ्ट में तैयार करते हैं फिर भी दो शिफ्टों के लोगों ने अलग-अलग सँख्या नहीं लिखने और औसत लिखने का निर्णय किया। यह चर्चाओं के बाद हुआ — “फिर तो मैं उसके लिये काम करता हूँ क्योंकि वह इतनी बार सिगरेट पीने जाता है” आदि बातों के बाद अन्ततः हम ने निर्णय किया कि अलग-अलग सँख्या नहीं देंगे।

समय की गणना करने वालों के आने पर हम ने पशुओं की आवाजें निकालनी भी शुरू कर दी हैं क्योंकि हमें लगता है कि हम चिड़ियाघर में हैं — वैसे भी शोर रहता है और हम मास्क पहने होते हैं।

यह आश्चर्य की बात है पर जब मैं इन युवाओं और इनके गुस्से को देखता हूँ तो अकसर मुझे गुड़गाँव में डेल्फी फैक्ट्री में पश्चिम बंगाल के युवा मजदूरों के बारे में सोचना पड़ता है जिनसे हम उनके कमरों पर मिले थे। और मुझे लगता है कि एक पराई दुनियाँ के प्रति भावनाओं तथा प्रतिक्रियाओं का एक जैसा होना मेरे मस्तिष्क के भ्रम नहीं हैं। मैं आशा करता हूँ कि यहाँ काम के दौरान मैं थिसेन मजदूरों के सम्पर्क में आऊँगा …

(2008 में 1 यूरो = 68 रुपये)

      (मजदूर समाचार, जुलाई 2008)

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