हीरो होण्डा फैक्ट्री में नियमित जाने वाला व्यक्ति : “हीरो होण्डा की गुड़गाँव फैक्ट्री में 1350-1400 स्थाई मजदूर तथा ठेकेदार के जरिये रखे 5500 वरकर काम करते हैं — अन्य ठेकेदार के जरिये रखे 300-400 सेक्युरिटी गार्ड भी हैं। ठेकेदार के जरिये रखे 5500 वरकरों ने 15 अप्रैल को अचानक काम बन्द कर दिया — फैक्ट्री में कार्य ठप्प हो गया और 21 अप्रैल को फिर आरम्भ हुआ। हीरो होण्डा की धारूहेड़ा फैक्ट्री प्रभावित नहीं हुई थी।
“अधिकतर स्थाई मजदूर मोटरसाइकिल असेम्बली में हैं। ठेकेदार के जरिये रखे वरकरों में से 25% मोटरसाइकिल असेम्बली में और 75% स्पेयर पार्ट्स डिविजन में हैं। ठेकेदार के जरिये रखे बरसों से काम कर रहे मजदूरों को हर तीन महीने पर हीरो होण्डा की मोहर वाला फोटो लगा एक कार्ड दिया जाता है जिस पर लिखा होता है कि हीरो होण्डा परिसर में काम करने की अनुमति है। ई.एस.आई. के नाम पर इस समय 206 रुपये तनखा से काटते हैं पर ई.एस.आई. कार्ड किसी वरकर को नहीं दिया है — ठेकेदार बोलता है कि बीमार होगे तो इलाज करवा देंगे। पी.एफ. की पर्ची नहीं।
“स्पेयर पार्ट्स डिविजन से प्रतिदिन 4-5 करोड़ रुपये का माल बाहर भेजा जाता है। डीलरों की भारी माँग, तुरन्त पूरी करो की डिमाण्ड रोज रहती है। लेकिन हीरो होण्डा स्पेयर पार्ट्स डिविजन में उत्पादन बिलकुल भी नहीं होता। तैयार माल पूर्णतः बाहर से मँगवाया जाता है। हीरो होण्डा फैक्ट्री में सिर्फ पैकिंग और शिफ्टिंग का काम होता है। फैक्ट्री में कोडिंग, काउन्टिंग, पैकिंग व सीलिंग की ही मशीनें हैं — माल उत्पादन की कोई भी मशीन स्पेयर पार्ट्स डिविजन में नहीं है।
“ठेकेदार के जरिये रखे वरकरों की तनखा 2600 रुपये थी और साल-भर पहले मैंने एक सुपरवाइजर को एक मजदूर के थप्पड़ मारते देखा है। पिछले वर्ष होण्डा मोटरसाइकिल एण्ड स्कूटर कम्पनी में हँगामे के बाद हीरो होण्डा में ठेकेदार के जरिये रखे वरकरों की तनखा 3600 रुपये की गई। इधर काट-पीट कर किसी वरकर को 3600 और किसी को 4200 रुपये दिये जा रहे थे …
“छुट्टी से लौटे कुछ मजदूरों को ठेकेदार ने ड्युटी पर लेने से इनकार किया तो चाणचक्क हड़ताल हो गई। 15 अप्रैल को काम बन्द करने का आह्वान किसी यूनियन ने नहीं किया था, कोई लीडर नहीं थे। मैनेजमेन्ट ने स्थाई मजदूरों को तत्काल छुट्टी पर भेज दिया। जून-जुलाई 2005 के होण्डा मामले के दृष्टिगत राज्य सरकार फौरन हरकत में आई। फैक्ट्री को आग लगाने की बातें …
“वरकरों में से कुछ लोगों को छाँट कर उनके साथ 20 अप्रैल को 30% वेतन वृद्धि, 500 को स्थाई करने, सफेद वर्दी आदि वाला मौखिक समझौता किया गया। समझौता करने वाले वरकर फैक्ट्री से गायब — कम्पनी ने खरीद लिये की बातें …
“21 अप्रैल को 5500 में से फैक्ट्री में कार्य के लिये पहुंँचे 4000 मजदूरों में गुस्सा — ‘हमारे साथ धोखा हुआ है’ की बातें।”
—(मजदूर समाचार, मई 2006 अंक)