8 फरवरी,2022 को छत पर धूप सेंक रहा था। ऑनलाइन पढाई के बाद चौथी कक्षा की बुलबुल आई।
“नाना कविता सुनाऊँ?”
“सुनाओ। अपनी बनाई है तो सुनाओ।”
स्वार्थी चिड़िया शीर्षक पर मेरे नाक-भौं सिकोड़ने पर भी वह सुनाई। फिर मेरा मन रखने के लिये उन्हीं चिड़ियों की दूसरी कविता सुनाई जो मुझे अच्छी लगी। कागज पर उतारने के लिये फिर सुनाने को कहा। वह कविता दूसरी कविता बन गई थी। लिखना कठिन लगा। ऑडियो की बात। रिकॉर्ड करने के समय तीसरी कविता बन गई थी। तकनीकी कारण से रिकॉर्ड नहीं हुई। चौथी बार सुनाने पर कविता रिकॉर्ड हुई, कविता फिर नई कविता! कुछ दिन पहले छत पर बुलबुल ने तार और डाल पर खेलती चिड़ियाँ देखी थी। उन्हीं का permutation and combination, इस चौथी-पाँचवीं कविता का आनन्द लें। लिन्क :
https://drive.google.com/file/d/1iLEkd7n5VfNwkRnfiH5E7nZCKti2O5TZ/view?usp=drivesdk