# 1947 से पहले उपमहाद्वीप में गोरे अफसरों वाली सेना में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई सिपाही के तौर पर भर्ती क्यों होते थे?
# यहाँ आज सेना की छावनियों में ढाई सौ वर्ष से, दो सौ वर्ष से, डेढ सौ वर्ष से बनी रेजिमेंट के गर्वपूर्ण स्मारक क्यों हैं?
# सेनाओं के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश में ऐसी गर्वपूर्ण बातें क्यों हैं?
कह सकते हैं कि :
— जीवन में धर्म का महत्व निर्णायक नहीं है।
— जीवन में देश का महत्व निर्णायक नहीं है।
# व्यक्ति और समूहों के लिये निर्णायक महत्व किन बातों का है?