“जान-पहचान जहाँ झमेले लिये है वहाँ अनजाने भी अपने हैं का विचार-व्यवहार खूब कमाल करेगा।” — मारुति मानेसर डायरी (6)।
## विश्व-भर में अधिक से और अधिक लड़खड़ा रही ऊँच-नीच, रुपये-पैसे, खरीद-बिक्री को बनाये रखने के बदहवास प्रयास दुनिया-भर में हो रहे हैं। इन कोशिशों में “पहचान की राजनीतियाँ” इधर कुछ ज्यादा-ही सक्रिय हैं। इस-उस भेद को आधार बना कर “अपने” और “पराये” बनाना पाँच-दस हजार वर्ष से ऊँच-नीच के वास्ते कन्धे प्राप्त करने का एक जरिया रहा है।
## कोई अपने नहीं। कोई पराये नहीं। सब अपने हैं।
संसार में सात अरब लोगों के साँझेपन को आगे लाने, आगे रखने में एक योगदान के लिये 2011-12 में मारुति सुजुकी मानेसर फैक्ट्री मजदूरों की गतिविधियों की एक झलक मजदूर समाचार के फरवरी 2012 अंक से यहाँ प्रस्तुत है।