जनवरी 2010 से फरवरी 2020 अंकों पर आधारित “सतरंगी” छापने के पश्चात अब मजदूर समाचार के जनवरी 2005 से दिसम्बर 2009 अंकों की सामग्री से पुस्तक “सतरंगी-2” तैयार कर रहे हैं।
पचासवें अंश में इंग्लैण्ड से एक मित्र द्वारा भेजी दो फैक्ट्री रिपोर्टों के अनुवाद हैं। यह मई तथा जुलाई 2009 अंकों से हैं।
31 मार्च को फोर्ड/विस्टीओन कम्पनी ने ब्रिटेन में अपनी तीन फैक्ट्रियाँ बन्द करने और सब मजदूरों की नौकरी समाप्त करने की घोषण की। अगले रोज बेलफास्ट, बजिल्डोन तथा लन्दन स्थित फैक्ट्रियों पर मजदूरों ने कब्जा कर लिया।
सन् 2000 में वाहन निर्माता फोर्ड कम्पनी ने पुर्जों के लिये विस्टीओन नाम से नई कम्पनी खड़ी की। आज विस्टीओन की विश्व-भर में फैक्ट्रियाँ हैं — भारत में भिवाड़ी और चेन्नै में। ब्रिटेन में फोर्ड कम्पनी और यूनियन के बीच समझौता हुआ था जिसमें फोर्ड मजदूरों को नई कम्पनी में तनखा तथा पेन्शन पुराने ढर्रे पर जारी रखने का वायदा किया गया था। नये भर्ती मजदूरों के लिये शर्तें बदतर थी। वह समझौता अब धोखाधड़ी साबित हुआ है …
लन्दन फैक्ट्री में 250 मजदूर डैशबोर्ड जैसे वाहनों के प्लास्टिक मोल्डेड पुर्जे बनाते थे और मार्च-जुलाई 2008 के दौरान ओवर टाइम भी था। मन्दी की मार — अक्टूबर 2008 में एक झटके में 30 अस्थाई मजदूर नौकरी से निकाल दिये। और, 31 मार्च 2009 को सब स्थाई मजदूरों को एकत्र कर मैनेजमेन्ट ने नौकरियाँ समाप्त, पाँच मिनट में फैक्ट्री से निकलने को कहा — अपने निजी सामान अगले दिन आ कर ले जायें। पहली अप्रैल को मजदूरों ने फैक्ट्री बन्द पाई। पता चला कि विस्टीओन की बेलफास्ट स्थित फैक्ट्री पर मजदूरों ने कब्जा कर लिया है तो पिछले द्वार से 100 मजदूर लन्दन फैक्ट्री में घुस गये और पेन्ट शॉप तथा छत पर कब्जा कर लिया।
लन्दन फैक्ट्री के अधिकतर मजदूर 20-30 वर्ष से कार्यरत थे और इस दौरान उन्होंने अपनी सँख्या दो हजार से 250 में सिकुड़ते देखी थी। लन्दन से कार्य तुर्की, दक्षिण अफ्रीका आदि में भेजा गया था। लन्दन फैक्ट्री में आधे मजदूर भारत, श्री लंका, इटली, वैस्ट इंडीज से थे। कई मजदूर महिला। दसियों वर्ष से वे एकसाथ कार्य कर रहे थे और अब उन्हें अकेले-अकेले रोजगार केन्द्र से निपटना होगा, कर्ज पर लिये घर की किस्त नहीं चुका पाने का डर रहेगा, घटती नौकरियों के माहौल में नई नौकरी ढूँढनी पड़ेगी। फैक्ट्री पर कब्जे का निर्णय कर उन्हें अल्प काल में बहुत कुछ सीखना था : कानून कैसे कार्य करता है? यूनियन कैसे कार्य करती है? कब्जे का समर्थन करने वाले यह लोग कौन हैं? फोर्ड कम्पनी विश्व स्तर पर उत्पादन को कैसे जोड़ती है? संसार के दूसरे कोने में स्थित मजदूरों से सम्पर्क कैसे करें? कब्जे के लिये समर्थन और भोजन आदि का जुगाड़ कैसे करें? अपने को और अपने संघर्ष को संगठित कैसे करें?
यह प्रश्न आज विश्व-भर में मजदूरों के सम्मुख हैं। अप्रैल में ही फ्रान्स में 3 एम फैक्ट्री में मजदूरों ने छंँटनी के खिलाफ मैनेजरों को दो दिन दफ्तर में बन्द रखा। इसी समय जर्मनी में फॉक्स वैगन में नौकरी से निकाले गये 300 मजदूरों ने भूख हड़ताल की। और, इसी दौरान तीन महीने से वेतन नहीं दिये जाने पर यूक्रेन में मजदूरों ने एक हार्वेस्टर कम्बाइन फैक्ट्री तथा सरकारी इमारत पर कब्जे किये …
ब्रिटेन में मजदूर-2
(मजदूर समाचार, जुलाई 2009)
● डरावने निर्माण और ध्वंस के यन्त्रों की बड़ी निर्माता *जे सी बी* का मुख्यालय ब्रिटेन में है। जे सी बी की फरीदाबाद स्थित फैक्ट्री में स्थाई मजदूरों की संँख्या बहुत कम है — पुर्जे जोड़ कर मशीनें तैयार करने का अधिकतर कार्य कैजुअल वरकरों तथा ठेकेदारों के जरिये रखे जाते मजदूरों से करवाया जाता है और … और पुर्जे उन सैंकड़ों अन्य फैक्ट्रियों में बनवाये जाते हैं जहाँ मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जाता। जे सी बी की ब्रिटेन में कई फैक्ट्रियाँ हैं और उन में स्थाई मजदूरों की संँख्या कम नहीं। अक्टूबर 2008 में कम्पनी ने घोषणा की कि ब्रिटेन स्थित फैक्ट्रियों से 510 मजदूरों की छंँटनी जरूरी है पर अगर मजदूर तनखा कम करवाने को राजी हो जायें तो 150 को ही निकाला जायेगा। यूनियन ने नौकरियाँ बचाने के नाम पर तनखा में कटौती का समर्थन किया। परन्तु अन्त की बजाय यह आरम्भ था … वेतन कटौती और 150 को निकालने के कुछ दिन बाद, 13 नवम्बर को कम्पनी ने 399 अन्य मजदूरों को नौकरी से निकाला। फिर 12 जनवरी 2009 को 700 और मजदूरों को निकाला। और फिर 16 फरवरी को 97 मजदूरों की नौकरी खाई … यूनियन अफसोस व्यक्त करने से बहुत अफसोस व्यक्त करने तक पुहँची।
● *टाटा इन्डस्ट्रीज* ने अप्रैल 2008 में *फोर्ड मोटर* से ब्रिटेन स्थित *जगुआर लैण्ड रोवर* फैक्ट्रियों का नियन्त्रण प्राप्त किया और … और तत्काल 600 मजदूरों की छंँटनी की। फिर नवम्बर 2008 में 850 मजदूरों को नौकरी से निकाला। और फिर, 15 जनवरी 2009 को 150 वरकरों तथा 300 मैनेजरों को नौकरी से निकाला। काली का खप्पर भरता नहीं … टाटा मैनेजमेन्ट ने कहा कि तनखा में कमी के लिये सहमत हों अन्यथा 800 मजदूरों तथा 300 स्टाफ वालों की नौकरियाँ जायेंगी। इस पर मैनेजमेन्ट-यूनियन समझौता हुआ जिसका अर्थ है वर्ष में मजदूरों को 560 करोड़ रुपयों का नुकसान। और, ब्रिटेन में सरकार से 216 करोड़ रुपये की सहायता मिलने के बाद कम्पनी अध्यक्ष रतन टाटा ने 29 मार्च 2009 को कहा कि सरकार ने 4000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं दिया तो जगुआर लैण्ड रोवर की ब्रिटेन स्थित फैक्ट्रियाँ बन्द करनी पड़ेंगी, बची हुई बारह हजार नौकरियाँ खत्म होंगी …
● ब्रिटेन में *होण्डा* कम्पनी ने स्वीन्डन स्थित कार फैक्ट्री को फरवरी 2009 में चार महीने के लिये बन्द किया। मजदूर ले-ऑफ पर। जून में फैक्ट्री में कार्य आरम्भ करने से पहले कम्पनी ने कहा कि मजदूर तनखा में तीन प्रतिशत कटौती के लिये सहमत हों अन्यथा 490 मजदूरों की नौकरियाँ जायेंगी। यूनियन ने तनखा में कमी का पक्ष लिया है ..