#### ऊँच-नीच और दमन-शोषण का महिमामण्डन ####
#### Glorification of hierarchies and oppression-exploitation ####
० उपमहाद्वीप में विद्वान इतिहासकारों ने स्वामी और दास सामाजिक गठन में स्वामियों की धारणाओं को “भारतीय संस्कृति” के तौर पर स्थापित करने के लिये अपने समय तथा ऊर्जा का बहुत व्यय किया है।
० उपमहाद्वीप में विद्वान इतिहासकारों ने बेगार प्रथा(सामन्तवाद) के एक शिखर पुरुष, अकबर को महान सिद्ध करने में अपना बहुत समय और ऊर्जा खर्च किये हैं।
० विद्वान इतिहासकार 1757 से 1947 के दौरान, उपमहाद्वीप में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ब्रिटिश सरकार के शासन को प्रगतिशील और मुक्तिकामी सिद्ध करने में अपना बहुत समय व ऊर्जा व्यय कर रहे हैं।
० इधर विद्वान लोग भारत सरकार के संविधान का, आज की मनुस्मृति का महिमामण्डन करने में अपना बहुत समय तथा ऊर्जा खर्च कर रहे हैं।
यह ज्ञानी स्वयं को वामपंथी कहते हैं, स्वयं को क्रान्तिकारी कहते हैं, स्वयं को दलित मुक्ति का हिरावल दस्ता कहते हैं।
#### Glorification of hierarchies and oppression-exploitation ####
० Learned historians in the subcontinent have spent a lot of their time and energy to establish slave-owners concepts in slave owning social organisations as “Indian culture”.
० Learned historians in the subcontinent have spent a lot of their time and energy to prove Emperor Akbar, an icon of corvee’ labour (feudalism), as the great.
० Learned historians are spending a lot of their time and energy to prove British East India Company and British government’s rule in the subcontinent from 1757 to 1947 as progressive and emancipatory.
० These days learned people are spending a lot of their time and energy to glorify the constitution of the state in India, today’s Manusmriti.
These wise ones call themselves leftists, they call themselves revolutionaries, they call themselves the vanguard of dalit emancipation. vf