आठ घण्टे का छब्बीस-तीस घण्टे बनना | Working Day-II

— ऊँच-नीच वाले सामाजिक गठनों में सुधार की बातें बहुत होती हैं। टिकाऊ परिवर्तन के लिये सुधार की राहों को कारगर राह प्रस्तुत किया जाता है।

— सुधारों को थोथा पाया गया है। शासन के लिये, सत्ता के लिये भिड़ रहे गिरोहों के हाथों में यह सुधार – वह सुधार डुगडुगी-झुनझुनों की भूमिका में पाये गये हैं।

इस सन्दर्भ में लगता है कि यहाँ प्रस्तुत मजदूर समाचार के मई 2013 अंक से “वर्किंग डे – कार्यदिवस” में मनन के लिये सामग्री मिल सकती है।

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